जिद है कन्हैया, बिगड़ी बना दो लिरिक्स
“जिद है कन्हैया, बिगड़ी बना दो” एक भावपूर्ण भजन है जो भक्तों की कन्हैया यानी भगवान श्रीकृष्ण के प्रति असीम श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है। इस भजन में भगवान कृष्ण से उनके भक्तों की प्रार्थना को भावुकता से व्यक्त किया गया है, जिसमें वे जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करने की विनती करते हैं। सरल और सजीव शब्दों में सजी इस रचना में भक्ति और विश्वास की गहराई को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है। यह भजन हर उम्र के भक्तों के दिलों में जगह बना चुका है और उन्हें आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
जिद है कन्हैया, बिगड़ी बना दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो ।।
तर्ज – सागर किनारे ।।
बरसे जो तू तो, कुटिया टपकती,
ना बरसे तो, खेती तरसती,
बरबस ही मेरी, आंखे बरसती,
मांगू क्या तुझसे, तुम ही बता दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो,
जिद है कन्हैया..
रोता हूँ मैं तो, हंसती है दुनिया,
सेवक पे तेरे ताने, कसती है दुनिया,
हालत पे मेरे, बरसती है दुनिया,
रोते हुए को, फिर से हसा दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो,
जिद है कन्हैया..
तेरे सिवा कोई, हमारा नहीं है,
बिन तेरे अपना, गुजारा नहीं है,
हाथों को दर दर, पसारा नहीं है,
जाऊं कहाँ मैं, तुम ही बता दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो,
जिद है कन्हैया..
होश संभाली जबसे, तुझको निहारा,
सुख हो या दुःख हो, तुझको पुकारा,
सेवक ये तेरा क्यों, फिरे मारा मारा,
अपना वो जलवा, हमें भी दिखा दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो,
जिद है कन्हैया..
रोमी ये तुझसे, अर्जी लगाए,
सपने ना टूटे जो, तुमने दिखाए,
सर मेरा दर दर, झुकने ना पाए,
सपनो के मेरे, पंख लगा दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो,
जिद है कन्हैया..
जिद है कन्हैया, बिगड़ी बना दो,
मार के ठोकर या फिर, हस्ती मिटा दो ।।
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